चांडाल दोष (जिसे गुरु चांडाल दोष भी कहा जाता है) एक ज्योतिषीय स्थिति है, जो तब उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में गुरु (बृहस्पति) ग्रह के साथ राहु या केतु ग्रह का संयोग हो जाता है। बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, धर्म, और समृद्धि का कारक माना जाता है, जबकि राहु और केतु को पाप ग्रह माना जाता है। जब ये दोनों ग्रह बृहस्पति के साथ होते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में बाधाएं, समस्याएं, और नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। इस दोष को शांत करने के लिए चांडाल दोष पूजन का आयोजन किया जाता है।
चांडाल दोष के लक्षण:
- धार्मिक और नैतिक मूल्यों में कमी: व्यक्ति के धार्मिक और नैतिक मूल्यों में गिरावट आ सकती है।
- शिक्षा में बाधाएं: शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति में कठिनाइयां होती हैं।
- आर्थिक समस्याएं: व्यक्ति को धन हानि और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- वैवाहिक जीवन में असफलता: विवाह और रिश्तों में असंतुलन या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- मानसिक अशांति: जीवन में मानसिक तनाव और अशांति का अनुभव होता है।
- स्वास्थ्य समस्याएं: स्वास्थ्य में गिरावट या पुरानी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
- अचानक दुर्घटनाएं: जीवन में अचानक दुर्घटनाओं और कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
चांडाल दोष पूजन की विधि:
इस दोष के निवारण के लिए विशेष रूप से गुरु चांडाल दोष शांति की जाती है। यह पूजा कुंडली के बृहस्पति ग्रह और राहु-केतु के दोषों को शांत करने के लिए की जाती है, ताकि जीवन में शुभता और सौभाग्य प्राप्त हो सके।
पूजन की प्रक्रिया:
- पूजा स्थल का शुद्धिकरण: सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है। पूजा करने वाले व्यक्ति को स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए।
- गुरु और राहु/केतु की मूर्तियों की स्थापना: पूजा के दौरान गुरु ग्रह (बृहस्पति) और राहु/केतु की मूर्तियों या प्रतीकात्मक चिह्नों की स्थापना की जाती है। इसके साथ भगवान विष्णु या भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर रखी जाती है, क्योंकि इनकी पूजा से दोष शांत होता है।
- ध्यान और संकल्प: पूजा के आरंभ में पूजा करने वाला व्यक्ति संकल्प लेता है। इसमें पूजा का उद्देश्य बताया जाता है, जैसे चांडाल दोष से मुक्ति पाना।
- गुरु ग्रह की पूजा: पहले बृहस्पति (गुरु) ग्रह की पूजा की जाती है। उन्हें पीले फूल, पीला वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, और मिठाई अर्पित की जाती है। गुरु मंत्रों का जाप किया जाता है:“ॐ बृं बृहस्पतये नमः”
- राहु/केतु की पूजा: इसके बाद राहु और केतु की पूजा की जाती है। राहु को नीले फूल, काले तिल, सरसों का तेल, और धूप अर्पित किया जाता है। राहु मंत्र का जाप किया जाता है:“ॐ रां राहवे नमः”
इसी प्रकार, केतु को दुर्वा घास, कुमकुम, और लाल वस्त्र अर्पित किए जाते हैं और केतु मंत्र का जाप किया जाता है:
“ॐ कें केतवे नमः”
- हवन (यज्ञ): गुरु चांडाल दोष की शांति के लिए हवन का आयोजन किया जाता है। हवन कुंड में तिल, जौ, घी, और हवन सामग्री डालकर आहुति दी जाती है। विशेष गुरु और राहु/केतु मंत्रों का जाप किया जाता है।
- विष्णु सहस्रनाम या शिव अभिषेक: दोष को शांत करने के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया जाता है, या भगवान शिव को जल, दूध, और शहद से अभिषेक किया जाता है। इससे दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
- दान और दक्षिणा: पूजन के बाद जरूरतमंदों को दान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पीले वस्त्र, चने की दाल, सोना, या अन्य वस्तुएं दान करना चाहिए। इसके साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।
पूजन के लाभ:
- आध्यात्मिक और मानसिक शांति: चांडाल दोष शांति से मानसिक तनाव और अशांति दूर होती है।
- शिक्षा और ज्ञान में उन्नति: बृहस्पति ग्रह की शांति से शिक्षा और ज्ञान में बाधाएं समाप्त होती हैं और व्यक्ति की प्रगति होती है।
- आर्थिक समस्याओं का निवारण: पूजा के बाद आर्थिक समस्याएं कम होती हैं और धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
- वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में सुधार: दोष शांति के बाद वैवाहिक जीवन में समरसता आती है और रिश्ते सुधारते हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
- सौभाग्य और समृद्धि: पूजा से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और समृद्धि का संचार होता है।
पूजा का समय:
चांडाल दोष शांति पूजा आमतौर पर गुरु पुष्य योग या गुरु ग्रह के शुभ समय में की जाती है। किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर उचित समय पर पूजा करना लाभकारी होता है।
यह पूजा व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक प्रभावों को दूर करके सुख, शांति, और समृद्धि लाने का एक प्रभावी उपाय मानी जाती है।