महामृत्युंजय पूजन हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली अनुष्ठान है, जिसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और मृत्यु, रोग, दुख और बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य दीर्घायु, आरोग्य और समृद्धि की प्राप्ति के साथ साथ आध्यात्मिक उन्नति करना है।
महामृत्युंजय मंत्र: इस पूजन का मुख्य भाग महामृत्युंजय मंत्र का जाप है। यह मंत्र ऋग्वेद में वर्णित है और इसे अत्यधिक शक्तिशाली माना जाता है:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
इसका अर्थ है: हम उन तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की आराधना करते हैं, जो हमें जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करते हैं। जैसे ककड़ी फल बिना किसी बाधा के बेल से अलग हो जाती है, वैसे ही भगवान हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें और हमें अमरता का अनुभव कराएं।
महामृत्युंजय पूजन की विधि:
- शुद्धिकरण: सबसे पहले पूजा करने वाले व्यक्ति को स्नान करके शुद्ध होना चाहिए। फिर पूजा स्थान को गंगाजल और पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है।
- दीपक जलाना: एक दीया जलाया जाता है, जिससे पूरे पूजन के दौरान प्रकाश और पवित्रता बनी रहे।
- भगवान शिव की स्थापना: भगवान शिव का प्रतीकात्मक रूप में शिवलिंग की स्थापना की जाती है, जिसे फूल, बिल्वपत्र और जल से अभिषेक किया जाता है।
- मंत्र जाप: मुख्य रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार या अधिक किया जाता है। इसके साथ ही रुद्राभिषेक और शिव महिमा के अन्य मंत्र भी पढ़े जाते हैं।
- हवन (यज्ञ): पूजा के दौरान हवन किया जाता है, जिसमें विशेष सामग्री जैसे घी, हवन की लकड़ियां, तिल, चावल, और अन्य पवित्र वस्तुएं अर्पित की जाती हैं।
- प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने पर प्रसाद वितरित किया जाता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त की जाती है।
पूजन के लाभ:
- आरोग्य: महामृत्युंजय मंत्र और पूजा रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है।
- मृत्यु के भय से मुक्ति: इस पूजा को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।
- शांति और समृद्धि: यह पूजा जीवन में मानसिक शांति और समृद्धि लाती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: पूजा करने वाले की आत्मिक उन्नति होती है और वह भगवान शिव के करीब जाता है।
यह पूजा विशेष रूप से कठिन समय में, जैसे गंभीर बीमारियों, दुर्घटनाओं, या जीवन में किसी बड़ी बाधा के समय की जाती है।