*भाई बहन के अटूट प्रेम का त्यौहार रक्षाबन्धन सर्वार्थसिद्धि योग मध्याहन से रात्रि
में बहन अपने भाई को बांधेगी सकेगी रक्षासूत्र*
दिन भर रहेगा शोभन योग
ब्राह्मण नवीन यज्ञों पवित धारण करेंगे
उज्जैन। इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त श्रावण पिर्णिमा सोमवार 2024 की मनाया जायेगा भद्रा का साया सुबह रहैगा. ऐसे मध्याह्न अर्थात दोपहर 1/26 शुभ मुहूर्त में बहनें भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकेंगी ।
भद्रा का वास स्थान पाताल या फिर स्वर्ग लोक में हो तो वह पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए अशुभ नहीं होती है. उसे शुभ ही माना जाता है,
राज पंचक का साया
रक्षाबंधन पर पंचक
रक्षाबंधन वाले दिन को पंचक भी लग रहा है. 19 अगस्त को सुबह श्रवण नक्षत्र उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र लगने के कारण यह राज पंचक होगा और इसे अशुभ नहीं माना जाता है.।
पूरे दिन रहेगा शोभन योग
शोभन योग को बहुत शुभ माना गया है. इस योग में पूजन करने से व्यक्ति का आर्कषण बढ़ता है, जीवन में खुशहाली आती है. इस योग में मां की पूजा-अर्चना करने के बाद रक्षासूत्र बांधना चाहिए सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है ।
प्रातः सर्वार्थ सिद्धि एवम रवियोग
सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र में इस सर्वार्थ योग के बनने का बहुत महत्व है
इस योग के दौरान किए गए सभी कार्य सफल होते हैं. नए कार्य की शुरुआत करने के लिए भी यह एक उत्तम समय माना जाता है।
सूर्य भगवान की कृपा पाने के लिए रवि योग सर्वश्रेष्ठ मौका है। ऐसे में जिस किसी दिन रवि योग पड़ रहा हो उस दिन जातक को ब्रह्रममुहूर्त में उठकर स्नानादि के पश्चात सर्वप्रथमे सूर्यदेव को अघ्र्य अर्पित करना चाहिए। वहीं जातक को अघ्र्य अर्पित करने के दौरान सूर्य देव के मंत्र- ऊॅं घृणि सूर्याय नमरू- या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिएं।
आपका जीवन लंबा और स्वस्थ होगा। यह योग सभी दोषों को नष्ट कर देगा।
वैदिक सनातन हिंदु धर्म मे
रक्षाबन्धन पर्व भाई-बहन प्रेम स्नेह एवम सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता या एकसूत्रता का सांस्कृतिक उपाय आयोजन आंरभ से रहा है
रक्षाबंधनकथा अनुसार
जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।
श्रावन पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है.
ज्योतिर्विद प अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार
उत्तर प्रदेश मे
रक्षा बंधन के अवसर पर बहिन अपना सम्पूर्ण प्यार रक्षा (राखी ) के रूप में अपने भाई की कलाई पर बांध कर उड़ेल देती है।
राखी, सलूनो, श्रावणी
महाराष्ट्र में इसे नारियल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.
भाभियों को चूड़ाराखी
रामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा बाँधने का रिवाज़ है। रामराखी सामान्य राखी से भिन्न होती है। इसमें लाल डोरे पर एक पीले छींटों वाला फुँदना लगा होता है। यह केवल भगवान को ही बाँधी जाती है। चूड़ा राखी भाभियों की चूड़ियों में बाँधी जाती है।
दक्षिण में अवनी अवित्तम बोलते है
तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और उड़ीसा के दक्षिण भारतीय ब्राह्मण इस पर्व को अवनि अवित्तम कहते हैं। यज्ञोपवीतधारी ब्राह्मणों के लिये यह दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस दिन नदी या समुद्र के तट पर स्नान करने के बाद ऋषियों का तर्पण कर नया यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। गये वर्ष के पुराने पापों को पुराने यज्ञोपवीत की भाँति त्याग देने और स्वच्छ नवीन यज्ञोपवीत की भाँति नया जीवन प्रारम्भ करने की प्रतिज्ञा ली जाती है। इस दिन यजुर्वेदीय ब्राह्मण 6 महीनों के लिये वेद का अध्ययन प्रारम्भ करते हैं।
इस पर्व का एक नाम उपक्रमण भी है जिसका अर्थ है- आंरभ
भाई बहनों को देते हैं उपहार
रक्षाबंधन के अवसर पर बहने भाईयों की दीर्घायु, समृद्धि व ख़ुशी आदि की कामना करती हैं
भाई इस अवसर पर कुछ उपहार देकर भविष्य में संकट के समय सहायता देने का बचन देता है।
भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है । रक्षाबंधन का त्योहार अधिकांश
अगस्त महीने में आता है. ।
जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि श्रवण उद्यात नक्षत्र मे मनाया जाता है. ।
श्री मातंगी ज्योतिष केंद्र