गणपति पूजन - Ujjain Poojan

गणपति पूजन हिंदू धर्म में भगवान गणेश की आराधना का प्रमुख अनुष्ठान है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभता का प्रतीक माना जाता है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले गणेश पूजन करना शुभ माना जाता है ताकि सभी कार्य निर्विघ्न और सफलतापूर्वक पूरे हों।

गणपति पूजन की महत्ता:

भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य का देवता माना जाता है। वे सर्वप्रथम पूजनीय हैं और किसी भी धार्मिक या शुभ कार्य की शुरुआत में उनकी पूजा की जाती है। गणपति पूजन विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, विवाह, गृहप्रवेश, या किसी नई शुरुआत के समय किया जाता है।

गणपति पूजन की विधि:

  1. स्थान शुद्धिकरण: पूजा स्थल को गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है। पूजा के लिए स्वच्छ और शुद्ध वातावरण होना आवश्यक है।
  2. भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना: भगवान गणेश की मूर्ति या प्रतिमा को एक साफ स्थान पर स्थापित किया जाता है। मूर्ति के पास दीपक जलाया जाता है।
  3. आसन: भगवान गणेश को वस्त्र, पुष्प, और माला अर्पित की जाती है। फिर उन्हें हल्दी और कुमकुम से तिलक किया जाता है।
  4. धूप और दीप अर्पण: भगवान को धूप, दीप, और अगरबत्ती अर्पित की जाती है। इसके साथ ही वातावरण को सुगंधित और पवित्र किया जाता है।
  5. पंचामृत अभिषेक: गणपति की प्रतिमा का अभिषेक पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से किया जाता है।
  6. दूर्वा अर्पण: भगवान गणेश को दूर्वा (घास) अर्पित करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। गणेश जी को 21 दूर्वा की माला अर्पित की जाती है।
  7. मोदक या लड्डू का भोग: भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग अर्पित किया जाता है। यह उनका प्रिय प्रसाद माना जाता है।
  8. मंत्र जाप: गणपति पूजन में गणेश मंत्रों का जाप किया जाता है, जिसमें प्रमुख मंत्र है:“ॐ गं गणपतये नमः”इसका अर्थ है: “मैं गणेश जी को प्रणाम करता हूँ।” इस मंत्र का जाप 108 बार किया जा सकता है।
  9. अर्थी और कर्पूर आरती: पूजा के अंत में भगवान गणेश की आरती की जाती है और कर्पूर से आरती उतारी जाती है।
  10. प्रसाद वितरण: पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।

गणपति पूजन के लाभ:

  1. विघ्नों का नाश: गणेश पूजन से जीवन की सभी बाधाएं और विघ्न दूर होते हैं।
  2. सौभाग्य और समृद्धि: भगवान गणेश की कृपा से जीवन में समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
  3. बुद्धि और विवेक: गणेश जी की पूजा से व्यक्ति की बुद्धि और विवेक का विकास होता है।
  4. सफलता और शुभारंभ: किसी भी नए कार्य की शुरुआत में गणपति पूजन से कार्य की सफलता सुनिश्चित होती है।

गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए उनका पूजन किसी भी धार्मिक और सांसारिक कार्य की शुरुआत में किया जाता है।

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