कालसर्प दोष पूजन एक विशेष हिंदू अनुष्ठान है, जो जन्म कुंडली में कालसर्प दोष होने पर किया जाता है। कालसर्प दोष तब बनता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में बाधाएं, कठिनाइयाँ, और मानसिक अशांति उत्पन्न हो सकती है। इसे दूर करने के लिए कालसर्प दोष का पूजन किया जाता है, जिससे ग्रहों की शांति और जीवन में सकारात्मकता लाई जा सके।
कालसर्प दोष के लक्षण:
- जीवन में बार-बार बाधाओं का आना।
- आर्थिक समस्याएं और धन हानि।
- नौकरी या व्यापार में असफलता।
- मानसिक अशांति, अवसाद, और चिंता।
- परिवारिक जीवन में तनाव और कष्ट।
- शत्रु और मुकदमेबाजी में फंसना।
- स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और अकाल मृत्यु का भय।
कालसर्प दोष की पूजन विधि:
कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है। यह पूजा आमतौर पर ज्योतिषी या योग्य पुरोहित द्वारा किसी पवित्र तीर्थ स्थल, खासकर त्रयंबकेश्वर (महाराष्ट्र), उज्जैन (मध्य प्रदेश), या काशी (वाराणसी) जैसे स्थानों पर की जाती है।
पूजन की विधि:
- स्नान और शुद्धिकरण: पूजा से पहले स्नान करना और स्वयं को शुद्ध करना आवश्यक है। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है।
- नाग देवता की स्थापना: कालसर्प दोष में राहु और केतु का प्रभाव होने के कारण, नाग देवता की पूजा की जाती है। पूजा स्थल पर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।
- ध्यान और संकल्प: पूजन शुरू करने से पहले संकल्प लिया जाता है, जिसमें पूजा करने वाले का नाम, गोत्र, और दोष निवारण का उद्देश्य बताया जाता है।
- पंचामृत स्नान: नाग देवता की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराया जाता है। फिर गंगाजल से शुद्ध किया जाता है।
- नाग पूजा: नाग देवता को दूर्वा, चंदन, कुमकुम, फूल, और बिल्वपत्र अर्पित किए जाते हैं। इसके साथ ही धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
- राहु और केतु मंत्र जाप: विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है ताकि राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सके। इसका मुख्य मंत्र है:“ॐ रां राहवे नमः”
“ॐ कें केतवे नमः” - नागों का अभिषेक: इसके बाद नागों का अभिषेक किया जाता है और विशेष रूप से कालसर्प दोष निवारण हेतु यज्ञ किया जाता है।
- यज्ञ (हवन): यज्ञ में अग्नि देवता को आहुति दी जाती है और विशेष कालसर्प दोष निवारण मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यह प्रक्रिया दोष की शांति के लिए की जाती है।
- कर्पूर आरती: अंत में नाग देवता की आरती की जाती है और कर्पूर जलाकर नाग देवता की पूजा की जाती है।
- दक्षिणा और दान: पूजन के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना और वस्त्र, अनाज, धन आदि का दान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दोष शांति में विशेष भूमिका निभाता है।
पूजन के लाभ:
- दोष निवारण: कालसर्प दोष से उत्पन्न जीवन की बाधाएं, आर्थिक समस्याएं, और असफलताएं समाप्त होती हैं।
- सौभाग्य और समृद्धि: पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता, सौभाग्य, और समृद्धि आती है।
- मानसिक शांति: मानसिक अशांति, अवसाद, और चिंता दूर होती है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: कालसर्प दोष से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां समाप्त होती हैं।
- शत्रुओं पर विजय: जीवन में शत्रुओं और मुकदमेबाजी से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: कालसर्प दोष निवारण से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति भी होती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
यह पूजन विशेष रूप से उन लोगों के लिए किया जाता है जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष पाया जाता है, और जिन्हें जीवन में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो।