मंगल भात पूजन एक महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है, जो विवाह से पहले दूल्हा या दुल्हन के घर में उनके सुखी वैवाहिक जीवन और सौभाग्य के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से गुजराती और राजस्थानी परंपरा में प्रचलित है, लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में भी इसका आयोजन किया जाता है। “भात” का अर्थ चावल होता है, और इसे विवाह की रस्मों से जोड़कर परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है।
मंगल भात पूजन का उद्देश्य:
इस पूजा का मुख्य उद्देश्य दूल्हा और दुल्हन के लिए मंगलकारी जीवन की प्रार्थना करना है। साथ ही, इस अनुष्ठान के माध्यम से परिवार में सामूहिक सौहार्द और समृद्धि की कामना की जाती है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से शादी के दौरान दुल्हन के भाई द्वारा किया जाता है।
मंगल भात पूजन की विधि:
- पूजा स्थल का शुद्धिकरण: पूजा से पहले स्थल को गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है। फिर एक साफ स्थान पर रंगोली बनाई जाती है और वहां पर एक पीढ़ा या पवित्र चौकी रखी जाती है।
- मंडप की सजावट: मंडप को फूलों, बंदनवार और शुभ प्रतीकों से सजाया जाता है। यह मंडप विवाह में सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है।
- कलश स्थापना: कलश स्थापना की जाती है, जिसमें एक तांबे के पात्र में जल भरकर उसके ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखे जाते हैं। इसे विवाह के लिए मंगल प्रतीक माना जाता है।
- दुल्हन या दूल्हे का तिलक: दुल्हन के भाई (या कभी-कभी अन्य नजदीकी रिश्तेदार) दूल्हे या दुल्हन को तिलक करते हैं। तिलक करने के बाद फूल और चावल उनके ऊपर छिड़ककर आशीर्वाद दिया जाता है।
- भात देने की रस्म: दुल्हन का भाई अपने परिवार से लेकर दुल्हन के परिवार के लिए वस्त्र, आभूषण, मिठाई, और विशेष रूप से चावल (भात) लेकर आता है। इसे “भात” देने की रस्म कहा जाता है। चावल समृद्धि और स्थिरता का प्रतीक होते हैं।
- भोजन का आयोजन: इस अवसर पर एक विशेष भोज का आयोजन किया जाता है, जिसमें भात (चावल) प्रमुख होता है। इसे मंगलमय भोजन माना जाता है, और सभी परिवारजन इसे मिलकर ग्रहण करते हैं।
- मंत्र और आरती: पूजन के दौरान शुभ मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। विशेषकर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, और कुल देवी-देवताओं की आराधना की जाती है। अंत में कर्पूर जलाकर आरती की जाती है।
- आशीर्वाद और प्रसाद: पूजा समाप्त होने के बाद सभी बड़े बुजुर्ग आशीर्वाद देते हैं, और प्रसाद का वितरण किया जाता है। दूल्हा या दुल्हन को आशीर्वाद के रूप में चावल के ढेर पर बिठाकर पूजा की जाती है।
मंगल भात पूजन के लाभ:
- सुखी वैवाहिक जीवन: इस पूजा से विवाह में आने वाली विघ्नों और बाधाओं का नाश होता है, और दूल्हा-दुल्हन का वैवाहिक जीवन मंगलमय और सौभाग्यशाली होता है।
- सौभाग्य और समृद्धि: यह पूजन घर-परिवार में समृद्धि और सौभाग्य लाने के लिए किया जाता है।
- परिवार में सामंजस्य: इस पूजा के माध्यम से पूरे परिवार में एकता और प्रेम का संचार होता है।
- परंपराओं का पालन: इस पूजा से परिवार अपनी पुरानी परंपराओं को निभाते हुए अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करता है।
मंगल भात पूजन मुख्य रूप से विवाह के दौरान किया जाने वाला अनुष्ठान है, लेकिन यह विवाह से पहले परिवार के सौहार्द और मंगलकारी जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।