नवग्रह शांति - Ujjain Poojan

नवग्रह शांति पूजन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए किया जाता है। नवग्रह (नौ ग्रह) में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, और केतु आते हैं। इन ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं, जैसे स्वास्थ्य, धन, वैवाहिक जीवन, शिक्षा, और करियर संबंधी परेशानियां। नवग्रह शांति पूजन से इन ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम किया जाता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

नवग्रह पूजन के लाभ:

  1. ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत करना: कुंडली में अशुभ ग्रह दोष या ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति को ठीक करने के लिए यह पूजा की जाती है।
  2. स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति: ग्रहों की शांति से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और आर्थिक परेशानियों में सुधार होता है।
  3. संतान प्राप्ति: नवग्रह शांति पूजा से संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
  4. वैवाहिक जीवन में सुधार: विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन की समस्याएं समाप्त होती हैं।
  5. करियर और शिक्षा में उन्नति: ग्रहों के शुभ प्रभाव से करियर और शिक्षा में प्रगति मिलती है।
  6. कुंडली दोष निवारण: नवग्रहों से उत्पन्न दोष, जैसे साढ़ेसाती, कलसर्प दोष, मंगल दोष, और राहु-केतु दोष आदि का निवारण होता है।

नवग्रह शांति पूजन की विधि:

नवग्रह शांति पूजा को एक योग्य पंडित के मार्गदर्शन में किया जाता है, क्योंकि इसमें विभिन्न ग्रहों से संबंधित मंत्रों और विधियों का प्रयोग किया जाता है। इस पूजा को किसी विशेष दिन, जैसे अमावस्या, पूर्णिमा, या ग्रहण के समय, या व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति के समय किया जाता है।

पूजन की प्रक्रिया:

  1. स्थान और शुद्धिकरण: पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है। पूजा करने वाला व्यक्ति स्वच्छ वस्त्र धारण करके बैठता है।
  2. नवग्रहों की स्थापना: नवग्रह शांति पूजन के लिए पूजा स्थल पर नवग्रहों की मूर्तियों या प्रतीकों को स्थापित किया जाता है। इसके लिए तांबे की छोटी-छोटी मूर्तियों या प्रतीकात्मक चित्रों का उपयोग किया जाता है।
  3. ग्रहों की पूजा: प्रत्येक ग्रह की पूजा के लिए संबंधित वस्तुएं और मंत्रों का उपयोग किया जाता है:
    • सूर्य: लाल फूल, लाल वस्त्र, और गुड़ का अर्पण। मंत्र: “ॐ सूर्याय नमः”
    • चंद्रमा: सफेद फूल, सफेद वस्त्र, और दूध का अर्पण। मंत्र: “ॐ चंद्राय नमः”
    • मंगल: लाल चंदन, लाल वस्त्र, और मसूर की दाल का अर्पण। मंत्र: “ॐ मंगलाय नमः”
    • बुध: हरे वस्त्र, हरे फूल, और मूंग का अर्पण। मंत्र: “ॐ बुधाय नमः”
    • बृहस्पति: पीले वस्त्र, पीले फूल, और चने की दाल का अर्पण। मंत्र: “ॐ बृहस्पतये नमः”
    • शुक्र: सफेद वस्त्र, चावल, और सफेद फूल का अर्पण। मंत्र: “ॐ शुक्राय नमः”
    • शनि: काले तिल, काले वस्त्र, और सरसों का तेल। मंत्र: “ॐ शनैश्चराय नमः”
    • राहु: नीले फूल, नीले वस्त्र, और उड़द की दाल का अर्पण। मंत्र: “ॐ राहवे नमः”
    • केतु: कुमकुम, लाल वस्त्र, और दुर्वा घास। मंत्र: “ॐ केतवे नमः”
  4. हवन (यज्ञ): नवग्रह शांति पूजन में हवन का विशेष महत्व होता है। हवन कुंड में घी, तिल, चावल, और अन्य सामग्री डालकर प्रत्येक ग्रह के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और आहुति दी जाती है। हवन से ग्रहों की शांति होती है और उनका सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है।
  5. नवग्रह मंत्रों का जाप: प्रत्येक ग्रह के लिए विशेष मंत्र होते हैं, जिनका जाप करके ग्रहों की कृपा प्राप्त की जाती है। मंत्र जाप का उद्देश्य ग्रहों को प्रसन्न करना और उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करना होता है।
  6. विशेष दान: नवग्रहों की शांति के लिए पूजा के बाद विशेष वस्तुओं का दान किया जाता है, जैसे तिल, जौ, गुड़, वस्त्र, और अन्य अनाज। इस दान से ग्रहों की शांति होती है और उनके शुभ प्रभाव बढ़ते हैं।
  7. तर्पण और पिंड दान: कुछ स्थितियों में पितृ दोष के निवारण के लिए तर्पण या पिंड दान भी किया जाता है, क्योंकि पितृ दोष का ग्रहों पर भी प्रभाव होता है।

नवग्रह मंत्र:

प्रत्येक ग्रह के लिए एक विशेष मंत्र होता है, जिसे जाप करना अनिवार्य होता है। नवग्रहों के सामान्य मंत्र इस प्रकार हो सकते हैं:

“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” (सूर्य)
“ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः” (चंद्रमा)
“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” (मंगल)
“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” (बुध)
“ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” (बृहस्पति)
“ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” (शुक्र)
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” (शनि)
“ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” (राहु)
“ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः” (केतु)

नवग्रह पूजन का समय:

नवग्रह शांति पूजन का आयोजन किसी भी शुभ दिन या अमावस्या, पूर्णिमा, ग्रहण के समय, या ग्रहों की प्रतिकूल दशाओं में किया जा सकता है। इसके अलावा, किसी भी शुभ दिन या किसी विशेष ग्रह की शांति के लिए भी यह पूजा की जा सकती है।

नवग्रह पूजन के लाभ:

  1. जीवन में स्थिरता: ग्रहों के संतुलित प्रभाव से जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।
  2. आर्थिक लाभ: ग्रहों की कृपा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  3. स्वास्थ्य में सुधार: नवग्रहों की शांति से स्वास्थ्य समस्याएं समाप्त होती हैं और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  4. कर्मों में सफलता: ग्रहों के शुभ प्रभाव से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  5. समग्र जीवन में सुधार: नवग्रह शांति पूजन से व्यक्ति के समग्र जीवन में सुधार आता है, जैसे कि शिक्षा, करियर, रिश्ते, और जीवन में संतुलन।

नवग्रह शांति पूजा के द्वारा ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को समाप्त किया जा सकता है, और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

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