रुद्र अभिषेक - Ujjain Poojan

रुद्राभिषेक पूजन हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावी अनुष्ठान है। यह पूजा विशेष रूप से भगवान शिव के रुद्र रूप की आराधना के लिए की जाती है। रुद्राभिषेक का उद्देश्य भगवान शिव को प्रसन्न करना और उनके आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयों, रोगों, और दोषों से मुक्ति पाना है।

रुद्राभिषेक का महत्व:

भगवान शिव को “रुद्र” नाम से भी जाना जाता है, और “अभिषेक” का अर्थ होता है किसी देवता की विशेष विधि से पूजा करके उनको स्नान कराना। रुद्राभिषेक में भगवान शिव का अभिषेक (स्नान) दूध, जल, घी, शहद, गंगा जल, चीनी, और अन्य पवित्र सामग्रियों से किया जाता है। यह पूजा वैदिक मंत्रों और विशेषत: रुद्र सूक्त के जाप के साथ की जाती है। यह माना जाता है कि इस पूजा से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि, शांति, और मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं।

रुद्राभिषेक के लाभ:

  1. सर्व बाधा निवारण: जीवन की सभी प्रकार की बाधाएं, संकट, और कष्ट रुद्राभिषेक करने से दूर होते हैं।
  2. रोगों से मुक्ति: रुद्राभिषेक विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निवारण करने और लंबी उम्र की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
  3. संतान प्राप्ति: इस पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: रुद्राभिषेक से व्यक्ति की आत्मा का शुद्धिकरण होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  5. पारिवारिक सुख: पारिवारिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
  6. धन और समृद्धि: रुद्राभिषेक करने से आर्थिक बाधाएं समाप्त होती हैं और धन-संपत्ति का आगमन होता है।
  7. शत्रु नाश: शत्रुओं से रक्षा के लिए और शत्रुओं के विनाश के लिए यह पूजा अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।

रुद्राभिषेक की विधि:

रुद्राभिषेक पूजन में भगवान शिव का विभिन्न पवित्र द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है, और साथ में शिव मंत्रों और रुद्र सूक्त का जाप किया जाता है। यह पूजा एक पंडित या विद्वान ब्राह्मण द्वारा संपन्न की जाती है, जो शिव पूजा और रुद्र सूक्त के मंत्रों का गहन ज्ञान रखता हो।

पूजन सामग्री:

  1. दूध, शहद, दही, घी, और गंगाजल (पंचामृत)
  2. बिल्व पत्र, आक के फूल, धतूरा, और शमी पत्र
  3. चंदन, धूप, दीप, कपूर, और नैवेद्य
  4. सफेद चावल, फल, मिठाई, और नारियल
  5. पूजा के लिए रुद्राक्ष माला

रुद्राभिषेक की प्रक्रिया:

  1. स्थल का शुद्धिकरण: पूजा स्थल को गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है। पूजा करने वाला व्यक्ति स्वच्छ वस्त्र धारण करता है।
  2. भगवान शिव का आह्वान: सबसे पहले गणेश जी का आह्वान करके पूजा की शुरुआत की जाती है, उसके बाद भगवान शिव का ध्यान किया जाता है।
  3. अभिषेक: भगवान शिव का अभिषेक विभिन्न सामग्रियों से किया जाता है:
    • दूध से अभिषेक करने से शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
    • दही से अभिषेक करने से पापों का नाश होता है।
    • घी से अभिषेक करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
    • शहद से अभिषेक करने से समृद्धि और मिठास आती है।
    • गंगाजल से अभिषेक करने से सभी पवित्रता और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
    • बिल्व पत्र चढ़ाने से भगवान शिव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।
  4. रुद्र सूक्त पाठ: अभिषेक के साथ-साथ रुद्र सूक्त का पाठ किया जाता है। यह पाठ भगवान शिव के रुद्र रूप की स्तुति करता है और अत्यंत पवित्र माना जाता है।
  5. शिवलिंग पर विशेष पूजन: अभिषेक के बाद शिवलिंग पर चंदन, अक्षत (सफेद चावल), फूल, और बिल्व पत्र अर्पित किए जाते हैं। यह भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  6. आरती और हवन: अभिषेक और पूजन के बाद शिव की आरती की जाती है और हवन के द्वारा भगवान शिव को आहुति दी जाती है।
  7. प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में भगवान शिव को नैवेद्य अर्पित किया जाता है और भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।

रुद्राभिषेक के विशेष मंत्र:

रुद्राभिषेक के दौरान शिव के विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है। कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:

  • महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
  • शिव पंचाक्षर मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”
  • रुद्र सूक्त मंत्र: “ॐ नमो भगवते रुद्राय”

रुद्राभिषेक का समय:

रुद्राभिषेक पूजन का आयोजन किसी भी शुभ मुहूर्त में किया जा सकता है। विशेषकर सोमवार, महाशिवरात्रि, सावन मास, और श्रावण सोमवार को यह पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है। ग्रहण, जन्मदिन, और अन्य विशेष अवसरों पर भी इस पूजा का आयोजन किया जा सकता है।

रुद्राभिषेक के प्रकार:

  1. लघु रुद्राभिषेक: इस अभिषेक में रुद्र सूक्त का पाठ 11 बार किया जाता है।
  2. महारुद्राभिषेक: इसमें 1331 बार रुद्र सूक्त का पाठ होता है।
  3. अतिरुद्राभिषेक: यह सबसे बड़ा अभिषेक होता है, जिसमें 14641 बार रुद्र सूक्त का पाठ किया जाता है।

रुद्राभिषेक के प्रमुख पर्व:

  • महाशिवरात्रि: भगवान शिव के सबसे बड़े पर्व महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • सावन का महीना: सावन के पूरे महीने में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

रुद्राभिषेक पूजन भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अद्वितीय और प्रभावशाली माध्यम है। यह पूजा भक्तों को शांति, सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य प्रदान करती है और उनके जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर करती है।

    पूजन के लिए पंजीयन यहाँ करें!




    जो पूजन आप करवाना चाहते है उसका चयन कीजिये!


    Post navigation

    Product added to cart