काल भैरव - Ujjain Poojan

काल भैरव हिंदू धर्म में भगवान शिव के एक उग्र और शक्तिशाली रूप माने जाते हैं। वह समय (काल) और मृत्यु के अधिपति हैं और उनका नाम “काल” का अर्थ है, समय का स्वामी। काल भैरव को विशेष रूप से तंत्र साधना और शक्ति की पूजा में प्रमुख स्थान दिया जाता है। उनका मंदिर भारत के कई हिस्सों में स्थित है, लेकिन उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय है।

काल भैरव की उत्पत्ति

काल भैरव की उत्पत्ति की कथा शिव पुराण में मिलती है। कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने भगवान शिव का अपमान किया, जिससे शिव क्रोधित हो गए। इस क्रोध के परिणामस्वरूप उनके तीसरे नेत्र से काल भैरव प्रकट हुए। काल भैरव ने अपनी क्रोधाग्नि से ब्रह्मा के अहंकार को समाप्त किया और उनका पांचवां सिर काट दिया। इस प्रकार काल भैरव का जन्म बुराई और अहंकार के विनाश के रूप में हुआ।

काल भैरव का स्वरूप और महत्व

काल भैरव का स्वरूप बहुत ही डरावना और उग्र होता है। उन्हें चार हाथों में खड्ग, त्रिशूल, डमरू, और कटोरी लिए हुए दिखाया जाता है। उनके गले में खोपड़ियों की माला होती है, और उनके वाहन के रूप में काला कुत्ता होता है। काल भैरव न केवल रक्षक हैं, बल्कि वह न्याय के देवता भी माने जाते हैं। वे अपने भक्तों को बुराई से बचाते हैं और उनके शत्रुओं का नाश करते हैं।

उज्जैन का काल भैरव मंदिर

उज्जैन का काल भैरव मंदिर, जो क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण काल भैरव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर खासकर तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है। यहां की सबसे अद्भुत बात यह है कि काल भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है। भक्त अपने साथ मदिरा लाते हैं और इसे काल भैरव को चढ़ाते हैं। मंदिर का पुरोहित मदिरा को एक बर्तन में डालता है और फिर काल भैरव की मूर्ति के मुख पर रखता है, जिसके बाद वह मदिरा धीरे-धीरे गायब हो जाती है। इसे भक्तों द्वारा काल भैरव की चमत्कारी शक्ति के रूप में देखा जाता है।

काल भैरव की पूजा और साधना

काल भैरव की पूजा विशेष रूप से तंत्र साधकों द्वारा की जाती है। उनकी आराधना से साधक को अपार शक्ति और साहस प्राप्त होता है। काल भैरव को ‘दंडपाणि’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वह अपने भक्तों को उनके कर्मों का फल देते हैं। उनकी पूजा के दौरान तंत्र मंत्र, हवन, और विशेष पूजा विधियों का पालन किया जाता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से काल भैरव की पूजा करते हैं, उनके जीवन से सभी प्रकार की बुराइयाँ और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।

काल भैरव अष्टमी

काल भैरव की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन काल भैरव अष्टमी होता है, जो कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और काल भैरव का विशेष पूजन करते हैं। इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्टों का निवारण होता है और उसे दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

काल भैरव की कृपा

काल भैरव की कृपा से भक्त को भय, बाधा, और सभी प्रकार की नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को ‘नगर रक्षक’ भी माना जाता है, जो अपने भक्तों की हर परिस्थिति में रक्षा करते हैं। उनकी पूजा से भक्तों को जीवन में समृद्धि, सफलता, और साहस की प्राप्ति होती है।

समाप्ति

काल भैरव की पूजा का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। उनका उग्र रूप और शक्तिशाली स्वरूप हर भक्त को यह संदेश देता है कि जीवन में सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने से सभी प्रकार के संकटों का नाश हो सकता है। काल भैरव के प्रति श्रद्धा रखने से भक्त को जीवन में कभी भी किसी प्रकार का भय महसूस नहीं होता।

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