ज्योतिष शास्त्र के अन्तर्गत जन्मकुण्डली, हस्तरेखा, और ग्रह-नक्षत्रों के माध्यम से दैवीय संकेतों को पढ़कर भविष्यवाणी की जाती है। भविष्य दर्शन के लिए ज्योतिषी की शरण में आने वाले को दैवीय शक्ति का आभार मानना चाहिए। सृष्टि का नियम है कि दैवज्ञ और गुरू के पास अन्तर्मन से समर्पित होकर आने वाला व्यक्ति सब कुछ पाता है।
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वैदिक ज्योतिष: ग्रहों का प्रभाव और उज्जैन के प्रमुख ज्योतिषाचार्य
वैदिक ज्योतिष और ग्रहों का प्रभाव
विद्वान वैदिक ज्योतिष मानते हैं कि ग्रह (पिंड) पृथ्वी पर रहने वाले सभी सजीवों को प्रभावित करते हैं। ग्रहों की स्थितियों का व्यक्ति के जीवन पर सीधा प्रभाव होता है, जैसे कि धन, स्वास्थ्य, प्रेम, विवाह, और करियर।
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे व्यक्ति अपने जीवन में सुधार कर सकता है, बुरी आदतों से मुक्ति पा सकता है, और निर्माण क्षमता में सुधार कर सकता है।
उज्जैन प्राचीन शहर के प्रसिद्ध परंपरागत सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषाचार्य मालव रत्न स्व पं. देवी शंकर व्यास के पोत्र ज्योतिर्विद प. अजय कृष्ण शंकर व्यास के बारे में भी जाना जाता है कि वे इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं।
1. ज्योतिष शास्त्र का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अन्तर्गत जन्मकुण्डली, हस्तरेखा, और ग्रह-नक्षत्रों के माध्यम से दैवीय संकेतों को पढ़कर भविष्यवाणी की जाती है। भविष्य दर्शन के लिए ज्योतिषी की शरण में आने वाले को दैवीय शक्ति का आभार मानना चाहिए। सृष्टि का नियम है कि दैवज्ञ और गुरू के पास अन्तर्मन से समर्पित होकर आने वाला व्यक्ति सब कुछ प्राप्त करता है।
2. ग्रहों का प्रभाव
विद्वान वैदिक ज्योतिष मानते हैं कि ग्रह (पिंड) पृथ्वी पर रहने वाले सभी सजीवों को प्रभावित करते हैं। ग्रहों की स्थितियों का व्यक्ति के जीवन पर सीधा प्रभाव होता है, जैसे कि धन, स्वास्थ्य, प्रेम, विवाह, और करियर।
3. ग्रहों के प्रभाव को नियंत्रित करना
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, और केतु के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे व्यक्ति अपने जीवन में सुधार कर सकता है, बुरी आदतों से मुक्ति पा सकता है, और निर्माण क्षमता में वृद्धि कर सकता है।
4. उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य
उज्जैन प्राचीन शहर के प्रसिद्ध परंपरागत ज्योतिषाचार्य मालव रत्न स्व पं. देवी शंकर व्यास के पोत्र ज्योतिर्विद प. अजय कृष्ण शंकर व्यास बाल्यकाल से वैदिक कर्मकांड और ज्योतिष का गुरु कृपा आशीर्वाद से निरंतर अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं।
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उज्जैन को अत्यंत पवित्र भूमि माना जाता है।
उज्जैन को काल निर्णय और गणना की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाया जिससे उज्जैन को ज्योतिष का महत्वपूर्ण केन्द्र माना गया जिसके प्रमाण में राजा जय सिंह द्वारा स्थापित वेधशाला आज भी उज्जैन को कालगणना के क्षेत्र में अग्रणी सिद्ध करती है । को शून्य रेखांश पर माना है। कर्क रेखा भी यहीं से गुजरती है ।
भौगोलिक दृष्टि से उज्जैन ठीक उसी स्थान पर स्थित है जहाँ देशांतर की शून्य मध्याह्न रेखा और कर्क रेखा एक दूसरे को काटती है।
उज्जैन ही एक मात्र ऐसी पवित्र भूमि हैं जहां पर साढ़े तीन काल एक साथ विराजमान हैं। इनमें महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव हैं।